The smart Trick of भाग्य Vs कर्म That Nobody is Discussing
The smart Trick of भाग्य Vs कर्म That Nobody is Discussing
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आचार्य जी-अरे यह सब तो मां-बाप, अध्यापक, घर के बुजुर्ग और हम जैसे लोग सिखाते ही रहते हैं की जीवन कैसे जीना चाहिए और कैसे कर्म करने चाहिए, फिर ये आप ज्योतिष सीख कर, अपना वक्त लगाकर ही क्यों करना चाहते हैं?
कहीं टूटा पुल तो कहीं हेलीकॉप्टर क्रैश… लोगों के लिए साबित हुआ हादसों का रविवार!
मैं-बुरे कर्मों से आपका आने वाला कल बुरा हो जाता है।
एक समय हिमालय के जंगलों में कुछ ऋषि तपस्या करते थे। वे अपने ज्ञान पर गर्व करते थे और…
लक भी उन्ही में से एक है, पर अगर कोई चीज समझाई नहीं जा सकती तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो है ही नहीं.
जिस तरह एक मूर्तिकार अपने हातो से मूर्तिको आकर देता है उसी तरह हम भी अपने कर्मो से अपना जीवन बदल सकते है.
उन्होंने मुझे देखा और पुछा ‘आप बड़े ही उत्सुक से प्रतीत होते हो, क्या पहली बार यहां आये हो?
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प्रेमानंद महाराज के पास कई लोग अपनी जिज्ञासाएं और समस्याएं लेकर आते हैं। प्रेमानंद महाराज के विचार और उपदेश भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं और वेदांत पर आधारित होते हैं और इसी ज्ञान क आधार पर वो लोगों के सवालों का समाधान करते हैं। जब उनसे ये सवाल पूछा गया कि क्या कर्म के द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है, तो उन्होंने कहा कि कर्म और भाग्य दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं और ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।
अमेरिकाचाहे कुछ भी हो, मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा...अटकलों के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने तोड़ी चुप्पी
“दैव-दैव आलसी पुकारा”- आलसी ही दैव (भाग्य) का सहारा लेता है.
प्रत्येक दया का कार्य, सत्य बोलना, दूसरों की मदद करना हमारे रिश्तों की गुणवत्ता में सुधार करता है क्योंकि हम एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। नकारात्मक प्रतिक्रिया या चेतावनियों जैसे कि असत्य होना, असावधान होना, या बलपूर्वक होना रिश्तों को नष्ट करता है और इसके परिणामस्वरूप विरोध और बहिष्कार होता है।
प्रेमानंद महाराज से जानिये कि क्या कर्म द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है
भगवान शिव के भाग्य में विष और विष्णु के भाग्य में लक्ष्मी, अद्भुत है भाग्य की महिमा - कर्म और भाग्य की महिमा बड़ी निराली है, बिरले ही इसे समझ पाते हैं। देवताओं और दैत्यों के प्रयास से समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष, कामधेनु गाय, उच्चैःश्रवा अश्व, एैरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रम्भा अप्सरा, देवी लक्ष्मी, वरूणी देवी, पारिजात वृक्ष, शंख, धनवन्तरि, अमृत कलश जैसी दिव्य वस्तुऐं प्राप्त हुईं। समुद्र मंथन के लिए देव और दानव ने एक समान कर्म किया, परन्तु भाग्य Vs कर्म भिन्न-भिन्न परिणाम प्राप्त हुए।
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